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मूसा परमेश्वर के चुने हुओं की अगुवाई करता है

मूसा परमेश्वर के लोगों को सीनै पर्वत की ओर ले जाता है।
योगदानकर्ता योमिनिस्ट्री
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और यहोवा उन्हें दिन को मार्ग दिखाने के लिये मेघ के खम्भे में, और रात को उजियाला देने के लिये आग के खम्भे में हो कर उनके आगे आगे चला करता था, जिससे वे रात और दिन दोनों में चल सकें। निर्गमन 13:21 परमेश्वर ने इस्राएलियों को सीधे वादा किए हुए देश में नहीं भेजा क्योंकि परमेश्वर के पास बेहतर योजनाएँ थीं। निर्गमन 13 – Slide número 1
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तब मैं फिरौन के मन को कठोर कर दूंगा, और वह उनका पीछा करेगा, तब फिरौन और उसकी सारी सेना के द्वारा मेरी महिमा होगी; और मिस्री जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।<br/>जब फिरौन निकट आया, तब इस्राएलियों ने आंखे उठा कर क्या देखा, कि मिस्री हमारा पीछा किए चले आ रहे हैं; और इस्राएली अत्यन्त डर गए, और चिल्लाकर यहोवा की दोहाई दी। निर्गमन 14:4, 14:10 – Slide número 2
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मूसा ने लोगों से कहा, डरो मत, खड़े खड़े वह उद्धार का काम देखो, जो यहोवा आज तुम्हारे लिये करेगा; क्योंकि जिन मिस्रियों को तुम आज देखते हो, उन को फिर कभी न देखोगे।यहोवा आप ही तुम्हारे लिये लड़ेगा, इसलिये तुम चुपचाप रहो l और मूसा ने अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ाया; निर्गमन 14:14–21 – Slide número 3
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और यहोवा ने रात भर प्रचण्ड पुरवाई चलाई, और समुद्र को दो भाग करके जल ऐसा हटा दिया, जिससे कि उसके बीच सूखी भूमि हो गई। तब इस्राएली समुद्र के बीच स्थल ही स्थल पर हो कर चले, और जल उनकी दाहिनी और बाईं ओर दीवार का काम देता था। निर्गमन 14:21-22 – Slide número 4
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फिर यहोवा ने मूसा से कहा, अपना हाथ समुद्र के ऊपर बढ़ा, कि जल मिस्रियों, और उनके रथों, और सवारों पर फिर बहने लगे।<br/>और जल के पलटने से, जितने रथ और सवार इस्राएलियों के पीछे समुद्र में आए थे, सो सब वरन फिरौन की सारी सेना उस में डूब गई, और उस में से एक भी न बचा। <br/>निर्गमन 14:26,28 – Slide número 5
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तब मूसा और इस्राएलियों ने यहोवा का स्तुतिगान किया। निर्गमन 15:1–18 – Slide número 6
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इस्त्राएलियों को मिस्र देश से निकले हुए तीन महीने बीत चुके, उसी दिन वे सीनै के जंगल में आए। तब उन्होंने जंगल में डेरे खड़े किए और वहीं पर्वत के आगे इस्त्राएलियों ने छावनी डाली। तब परमेश्वर ने मूसा को लोगों के पास से पहाड़ पर उस से बातें करने के लिये बुला लिया l निर्गमन 19 – Slide número 7
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तब यहोवा ने मूसा से कहा, पहाड़ पर मेरे पास चढ़, और वहां रह; और मैं तुझे पत्थर की पटियाएं, और अपनी लिखी हुई व्यवस्था और आज्ञा दूंगा, कि तू उन को सिखाए। <br/>निर्गमन 24:12<br/>मूसा पर्वत पर चालीस दिन और चालीस रात रहा l – Slide número 8
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जब लोगों ने देखा कि मूसा को पर्वत से उतरने में विलम्ब हो रहा है, तब वे हारून के पास इकट्ठे हो कर कहने लगे, अब हमारे लिये देवता बना, जो हमारे आगे आगे चले; क्योंकि उस पुरूष मूसा को जो हमें मिस्र देश से निकाल ले आया है, हम नहीं जानते कि उसे क्या हुआ? निर्गमन 32:1  हारून ने उन्हें सोने की एक मूर्ति बनाने का निर्देश दिया। – Slide número 9
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तब यहोवा ने मूसा से कहा, नीचे उतर जा, क्योंकि तेरी प्रजा के लोग, जिन्हें तू मिस्र देश से निकाल ले आया है, सो बिगड़ गए हैं; तब मूसा फिरकर साक्षी की दोनों तख्तियों को हाथ में लिये हुए पहाड़ से उतर गया,  और वे तख्तियां परमेश्वर की बनाईं हुई थीं, और उन पर जो खोदकर लिखा हुआ था वह परमेश्वर का लिखा हुआ था l<br/>  निर्गमन 32:7,15,16 – Slide número 10
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छावनी के पास आते ही मूसा को वह बछड़ा और नाचना देख पड़ा, तब मूसा का कोप भड़क उठा, और उसने तख्तियों को अपने हाथों से पर्वत के नीचे पटककर तोड़ डाला। <br/>तब उसने उनके बनाए हुए बछड़े को ले कर आग में डालके फूंक दिया। और पीसकर चूर चूर कर डाला, और जल के ऊपर फेंक दिया, और इस्त्राएलियों को उसे पिलवा दिया।<br/>निर्गमन 32:19–20 – Slide número 11
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मूसा पहाड़ पर परमेश्वर से बातें करने के लिए लौटा l यहोवा ने मूसा से कहा, जिसने मेरे विरुद्ध पाप किया है उसी का नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूंगा। अब तो तू जा कर उन लोगों को उस स्थान में ले चल जिसकी चर्चा मैं ने तुझ से की थी; देख मेरा दूत तेरे आगे आगे चलेगा। परन्तु जिस दिन मैं दण्ड देने लगूंगा उस दिन उन को इस पाप का भी दण्ड दूंगा। निर्गमन 32:33–34 – Slide número 12
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जब उन्होंने परमेश्वर पर भरोसा करना और एक राष्ट्र बनना सीखा तो परमेश्वर की दया ने उसके लोगों को जंगल में चालीस वर्षों तक बनाए रखा। कई बार वे पाप में पड़ गए और परमेश्वर ने उन्हें दंड दिया। एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने परमेश्वर पर भरोसा किया और विजयी होकर जीना सीखा। – Slide número 13
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मूसा के मरने से ठीक पहले उसने लोगों से कहा l सुन, आज मैं ने तुझ को जीवन और मरण, हानि और लाभ दिखाया है। क्योंकि मैं आज तुझे आज्ञा देता हूं, कि अपने परमेश्वर यहोवा से प्रेम करना, और उसके मार्गों पर चलना, और उसकी आज्ञाओं, विधियों, और नियमों को मानना, जिस से तू जीवित रहे, और बढ़ता जाए, और तेरा परमेश्वर यहोवा उस देश में जिसका अधिकारी होने को तू जा रहा है, तुझे आशीष दे।<br/> व्यवस्थाविवरण 30:15–16 – Slide número 14
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